धर्म एवं दर्शन >> सरल विवाह संस्कार पद्धति सरल विवाह संस्कार पद्धतिपं. देव नारायण शास्त्री
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हिन्दू विवाह की पद्धति सरल भाषा में
नम्र-निवेदन एवं विवाहानुक्रमणिका
यों तो विवाह पद्धति के अनेकों संस्करण छपे हैं परन्तु मित्रों के अनुरोध पर यह पद्धति बहुत सरल एवं ऐसी लिखी गयी है कि साधारण पण्डित-गण भी विवाह-संस्कार इससे बहुत आसानी से करा सकें और कोई विधान भी छूटने न पाये। मेरा निवेदन है कि यदि पण्डित-गण निम्न तीन श्लोक कंठाग्र कर लें, तो कोई विधि छूट नहीं सकती।
साधुस्ततो विष्टर पाद्यविष्टरं,
अर्घाचमं वै मधुपर्क वाक्च मे।
उत्सृजत्तृणान्यत्त्ववथ वेदिकर्म,
स्यादग्निमभ्यर्चय कौतुकाद्वरः॥
आनीय कन्या वसनं वराय,
ददाति दाता वरवस्त्रदानम्।
परस्परं दातृक ग्रन्थिबन्धनं,
संकल्प-कन्या वरणं च होमः॥
लाजाहुतिर्ग्राम्यवचः सुमङ्गली,
परिवर्ति वामे ग्रथनं विधत्ते।
स्विष्टाहुतिः स्यादभिषेकदानं,
कृत्वा वरः कौतुकमन्दिरं ब्रजेत् ॥
सर्वप्रथम वर को पीढ़े पर बैठावे। फिर कन्या का पिता कुशा लेकर वर के हाथ में दे उस कुशा को वर बायें पैर के नीचे रख ले। इसके बाद पाद्य यानी एक दोने में जल दे। उस जल। से वर बायें हाथ से बायाँ व दाहिने हाथ से दाहिना पैर धोवे।
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- विवाह-सामग्री
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- नम्र निवेदन एवं विवाहानुक्रमणिका
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- वर वरणम (वरिच्छा)
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- तिलक संस्कार
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- गौरी-गणेश-कलश आवाहनम्
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- वर पूजनम्
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- लगन पुजाना
- लगन खोलने की विधि
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- मठमँगरा (तनी कढ़ाई)
- मण्डप (खम्भा) स्थापनम्
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- कलश-पूजा विधि
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- तेल
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- तेल चढ़ाने की विधि
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- मंत्री पूजन
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- देव-पितृ-निमन्त्रण
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- नान्दीमुख श्राद्ध
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- द्वार पूजन
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- वर-पूजन
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- विवाह विधान प्रारम्भ
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- अथ शालामन्त्रः
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- शाखोच्चार
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- कन्यादान संकल्प
- कुशकण्डिका
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- अन्तःपट
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- सप्तपदी
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- हृदयालम्भन
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- अभिषेक
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- विनय पद्यावलिः
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